जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन |Geography chapter -1 class 12th Notes
1. जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
🎯 जनसंख्या वृद्धि या परिवर्तन❗❗
दो विभिन्न समय बिन्दुओं के मध्य जनसंख्या के होने वाले शुद्ध परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं।
📍 जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि की गणना :-
जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि = ( जन्म मृत्यु) + (अप्रवास – उत्प्रवास)
📍 श्रम की प्रतिभागिता दर :-
कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या के अनुपात को श्रम की प्रतिभागिता दर कहते हैं।
📍 जनसंख्या का वितरण :-
जनसंख्या के वितरण का अर्थ है कि किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या कैसे वितरित की जाती है। भारत में जनसंख्या वितरण का स्थानिक पैटर्न बहुत आसमान है। चूंकि कुछ क्षेत्र बहुत कम आबादी वाले हैं. जबकी कुछ अन्य हैं। इन राज्यों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
उच्च जनसंख्या वाले :- राज्य उत्तर प्रदेश ( उच्चतम जनसंख्या ) महाराष्ट्र, बिहार , पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश, तमिलनाडु राजस्थान, कर्नाटक गुजरात और आंध्र प्रदेश इन राज्यों में एक साथ 76% जनसंख्या रहती है।
मध्यम जनसंख्या वाले :- राज्य असम हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़ केरल पंजाब गोवा ।
कम जनसंख्या वाले : – राज्य और जनजातीय क्षेत्र : जैसे जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश सभी पूर्वोत्तर राज्य ( असम को छोड़कर) और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को छोड़कर ।
📌 राष्ट्रीय युवा नीति :-
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति 2003 में अपनाई गई ।
राष्ट्रीय युवा नीति मुख्य उद्देश्य :-
- युवाओं व किशोरों के चहुमुखी विकास पर बल देना
- उनके गुणों का बेहतर मार्गदर्शन देना ताकि देश के रचनात्मक विकास में वे अपना योगदान दे सके ।
3. उनमे देशभक्ति ब उतरदायी नागरिकता के गुणों को बढ़ाना ।
📌 आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बांट सकते है। :-
- मुख्य श्रमिक : वह व्यक्ति जो एक वर्ष में कम से कम 183 दिन कामा करता है,मुख्य श्रमिक कहलाता है।
- सीमांत श्रमिक : वह व्यक्ति जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम दिन काम करता है, सीमांत श्रमिक कहलाता है ।
- अश्रमिक : • जो व्यक्ति बेरोजगार होता है उसे अश्रमिक कहते हैं ।
📌 जनसंख्या वृद्धिदर :-
किसी विशेष क्षेत्र में विशेष समयावधि में होने वाले जनसंख्या परिवर्तन को जब प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है उसे जनसंख्या वृद्धिदर कहते हैं ।
📍 भारतीय जनसंख्या वृद्धि की चार प्रवृत्तियाँ
- स्थिर वृद्धि की अवधि ( 1921 से पहले) 1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर अवस्था कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में वृद्धि दर अत्यंत निम्न थी यहां तक कि 1911-1921 के दौरान ऋणात्मक वृद्धि दर रही है। जन्म दर मृत्यु दर दोनों ऊँचे थे। जिससे वृद्धि दर निम्न रही ।
- निरंतर वृद्धि की अवधि ( 1921 1951 ) :- इस अवधि में जनसंख्या वृद्धि निरंतर बढ़ती गई क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में कमी आई इसीलिए इस अवधि को मृत्यु प्रेरितवृद्धि कहा जाता है ।
. तीव्र वृद्धि की अवधि ( 19511981) इस अवधि को भारत में जनसंख्या विस्फोट की अवधि के नाम से भी जाना जाता है। विकास कार्यों में तेजी, बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ बेहतर जीवन स्तर के कारण मृत्यु दर में तीव्र हास और जन्म दर में उच्च वृद्धि देखी गई । 4. घटती वृद्धि की अवधि ( 1981 से आज तक ) :- 1981 से वर्तमान तक वैसे तो देश की जनसंख्या की वृद्धि दर ऊँची बनी रही है परन्तु इसमें धीरे
- धीरे मंद गति से घटने की प्रवृत्ति पाई जाती है । विवाह की औसत आयु में वृद्धि स्त्रियों की शिक्षा में सुधार व जनसंख्या नियन्त्रण के कारगर उपायों ने इस वृद्धि को घटाने में मदद की है।
📌 जनसंख्या घनत्व :-
प्रति इकाई क्षेत्रफल पर निवास करने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं ।
📍 भारत में जनसंख्या वितरण घनत्व को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक :-
- उच्चावच : – जनसंख्या के बसाव के लिए मैदान अधिक उपयुक्त होते हैं ।
- पर्वतीय व पठारी या घने वर्षा भागों में जनसंख्या कम केंद्रित होती है।
- उदाहरण के लिए भारत में उत्तरी मैदान घना बसा है जबकि उत्तर पर्वतीय भाग तथा उत्तर पूर्वी वर्षा वाले भागों में जनसंख्या घनत्व कम है । जलवायु : जलवायु जनसंख्या वितरण को प्रभावित करती है। थार मरुस्थल में गर्म जलवायु और पठारी भाग व हिमालय के ठंडे क्षेत्र सम जलवायु वाले क्षेत्रों की अपेक्षा कम घने बसे है ।
- मृदा • मृदा कृषि को प्रभावित करती है। उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में कृषि अच्छी होने के कारण इसलिए ये भाग अधिक घने बसे है। उदाहरण उत्तर
- प्रदेश हरियाणा, पंजाब आदि ।
- जल की उपलब्धता : जल की उपलब्धता बसावट को आकर्षित करती है ।
- वे अधिक घने बसे होते हैं जैसे सतलुज गंगा का मैदान तटीय मैदान आदि ।
📌 भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना :-
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या की घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
- राज्य स्तर पर जनसंख्या के घनत्व में बहुत विषमताएं पाई जाती है । अरुणाचल प्रदेश में 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जबकि बिहार में यह घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
- केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली का घनत्व सबसे अधिक 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हैं जबकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में केवल 46 व्यक्ति प्रति बर्ग किलोमीटर है ।
- प्रायद्वीपीय भारत में केवल केरल राज्य का घनत्व सबसे अधिक 860 है इसके बाद तमिलनाडु 555 का दूसरा स्थान है।
पर्यावरण की विपरीत दशाओं के कारण उत्तरी तथा उत्तरी – पूर्वी भारतीय राज्यों की जनसंख्या घनत्व बहुत कम है। जबकि मध्य प्रदेश भारत तथा प्रायद्वीपीय भारत में मध्य दर्जे का जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।
भारत में चार भाषा परिवार :-
- भारतीय यूरोपीय ( आय )
- द्रविड़
- आस्ट्रिक
- चीनी तिब्बत
भाषा परिवारों की विशेषताएं :-
भारतीय यूरोपीय (आर्य ) :-
- कुल जनसंख्या का लगभग तीन चौथाई भाग आर्य भाषाएं बोलता है । इस परिवार की भाषाओं का संकेंद्रण पूरे उत्तरी भारत में हैं। इसमें हिन्दी मुख्य है ।
द्रविड़ भाषा परिवार :-
- कुल जनसंख्या का लगभग पांचवा भाग द्रविड़ भाषाएं बोलता है ।
- इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः प्रायद्वीपीय पठार तथा छोटा पठार के क्षेत्रों में बोली जाती है। इस परिवार में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ तथा मलयालम मुख्य भाषाएं हैं।
📍 देश की जनसंख्या में किशोरों का क्या योगदान :-
- 10-19 वर्ष की आयु के लोगों को किशोर कहते है ।
- किशोर जनसंख्या का मूल्य अत्यधिक है भविष्य में उनसे आशाएँ होती है । इन पर देश का विकास व उन्नति निर्भर होती है। किशोर वर्ग जल्दी सुभेदय हो जाता है, उनका मार्गदर्शन करना आवश्यक होता है ।
📌 किशोरों के मार्गदर्शन के लिए सरकार के द्वारा उठाए गए कदम :-
- राष्ट्रीय युवा नीति 2003 के अंतर्गत युवाओं के चौमुखी विकास पर बल दिया
- देशभक्ति व उत्तरदायी नागरिकों के गुणों का विकास करना ।
- युवाओं की प्रभावी सहभागिता और सुयोग्य नेतृत्व के संदर्भ में उनको सशक्त करना
। 4. महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण पर बल दिया है।
आर्थिक गतिविधियों में स्त्रियों की कम प्रतिभागिता के कारण :-
- संयुक्त परिवार
- निम्न सामाजिक व शैक्षिक स्तर ।
- बारंबार शिशु जन्म
- रोजगार के सीमित अवसर
📌 समाज के समक्ष किशोरों की प्रमुख चुनौतियाँ :-
- निरक्षरता अधिकतर किशोर वर्ग विशेषतम स्त्रियां निरक्षर हैं। जिसके कारण वह अपने व परिवार के विकास में योगदान नहीं दे पाती । औषध दुरुपयोग अधिकतर किशोर शिक्षा पूरी किए बिना ही विद्यालय :- छोड़े देते हैं और औषध या मदिरापान के कारण रास्ता भटक जाते है।
- ऐसे लोग समाज के लिए अभिशाप बन जाते हैं और सामाजिक परिवेश को बिगाड़ते है ।
- विवाह की निम्न आयु विवाह की निम्न आयु उच्च मातृ मृत्यु दर का कारण बनती है । जो आगे जाकर लिंगानुपात को प्रभावित करती है। समुचित मार्गदर्शन का अभाव किशारों को समुचित मार्गदर्शन देने के लिए किसी ठोस कदम का अभाव है। जिस कारण वे मार्ग से भटक जाते हैं ।
- अन्य चुनौतियां :- HIV AIDS किशोरी माताओं से उच्च मातृ मृत्यु दर आदि ।
📌 भारत के आयु पिरामिड की विशेषताएँ :-
- उच्च आयु वर्ग में पिरामिड संकरा है ।
- 22% जनसंख्या 50 वर्ष की आयु तक पहुँच पाती है ।
- 60 वर्ष की आयु के लोगों की जनसंख्या 12% है ।
- 40-49 वर्ष आयु वर्ग में 10% जनसंख्या पाई जाती है ।
📌 भारत में लिंग अनुपात घटने के चार कारण :-
- लड़कियों की अपेक्षा लड़कों के जन्म को प्राथमिकता
- कन्या भ्रूण हत्या
- कुपोषण के कारण बाल्यावस्था में ही कन्या शिशुओं की मृत्यु हो जाती है ।
- समाज में स्त्रियों को कम सम्मान प्राप्त होना । उनके स्वास्थ्य व पोषण पर ध्यान न दिया जाना ।
🟡 हमारे प्रिय विद्यार्थी ये नोट्स भारत के राज्यों का विद्यालय के लिए उपयोगी है।बिहार बोर्ड ,CBS केरला बोर्ड,उप बोर्ड ,मध्यप्रदेश बोर्ड ,झारखंड बोर्ड ,आदि ।
🔴 JOIN OUR TELEGRAM 📍
Youtube channel- Subscribe
Telegram channel – JOIN NOW
10th whatsapp Group – ᴊᴏɪɴ ɴᴏᴡ
12ᴛʜ ᴡʜᴀᴛꜱᴀᴩᴩ ɢʀᴏᴜᴩ-ᴊᴏɪɴ ɴᴏᴡ
ᴛᴇʟᴇɢʀᴀᴍ ɢʀᴏᴜᴩ- ᴊᴏɪɴ ɴᴏᴡ
ꜰᴀᴄᴇʙᴏᴏᴋ ᴩᴀɢᴇ-ꜰᴏʟʟᴏᴡ ᴍᴇ
ɪɴꜱᴛᴀɢʀᴀᴍ – ꜰᴏʟʟᴏᴡ ᴍᴇ